गाजियाबाद। गाजियाबाद जिसे सभी लोग हॉटसिटी के नाम से जानते है और बहुत से लोग इसकी पहचान छोटी दिल्ली कहकर भी कराते है। यह शहर प्रदेश सरकार को राजस्व देने वालों सर्वाधिक शहरों में से एक है। गाजियबाद शहर की महत्व को इसी बात से जाना जा सकता है भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इसी को अपना चुनावी क्षेत्र बनाया। परंतु इस शहर में कानून व्यवस्था नाममात्र की है। जबकि बसपा सु्रपीमों मायावती ने अपने चुनावी घोषणा में कानून व्यवस्था को कायम करने और रोजगार देने की गारंटी प्रदेश की जनता को दी थी।
कानून व्यवस्था की बात करे तो प्रदेश की पुलिस जनता की रक्षा और सुरक्षा को दरकिनार कर केवल और केवल अपने निजी स्वार्थों में लगी हुई है। जहां देखों पुलिस की गुंडागर्दी, घूसखोरी, निकम्मापन देखने को मिलता है। जहां पुलिस किसी भी दबंग एवं सम्पन्न व्यक्ति की जी हुजुरी करने में थकती नहीं है वहीं किसी गरीब व्यक्ति पर अपना रौब दिखाने से भी नहीं चूकती। गरीब पर अपना रौब दिखाने के बाद उससे जो भी निकाल सके उसे भी लेेने में पीछे नहीं हटती।
पुलिस की लापरवाही और निकम्मेपन को आप किसी भी चौराहे पर कभी भी देख सकते है। जहां पूरे शहर में जाम की एक भयंकर और विकराल समस्या बना हुआ है। यह जाम पुलिस की लापरवाही और अपने कार्य के प्रति निष्ठा की कमी का ही दुष्परिणाम है। शहर के किसी भी चौराहे पर जाम लगा होने पर पुलिसकर्मी वहीं किसी कोने में खड़े होकर आपस में गप्पे लडाने में मशगूल होते है या अपनी कमाई करने ेंमें। परंतु जाम को खुलवाने के लिए कोई कर्मी जल्दी से आगे नहीं आता है। कोई भी पुलिस कर्मी या पुलिस अधिकारी या प्रशासनिक अधिकारी किसी भी चौराहे पर लगे टे्रफिक सिग्नलों के सुचारु रुप से चलने की तरफ ध्यान नहीं देता। शहर के तमाम प्रशासनिक अधिकारी और नेता इन चौराहों से होकर ही आते-जाते है परंतु सिग्नलों के सही ढंग से काम करने की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जाता है। जनप्रतिनिधि और कोई भी संस्था जो जनता की सभी परेशानियों और उलझनों को दूर करने का दम भरते है वे भी इस ओर से आंखें मूंदे बैठे है।
कोई भी पुलिस कर्मी या अधिकारी यातायात के नियमों का पालन करने के लिए नहीं कहता। पुलिस अफसर या कर्मी के सामने से आप किसी रांग साइड से आइए कोई भी नहीं रोकता। जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि आजकल अपनी साइड छोडकर दूसरे की साइड में चलने का चलन सा निकल पडा है। किसी भी क्रॉसिंग या चौराहे पर सभी को एक दूसरे से पहले निकलने की जल्दी होती है। और इसी जल्दी के चक्कर में आए दिन टैफिक सिग्नलों के हिसाब से कोई नहीं चलता है जिस कारण जाम और दुर्घटनाएं होती है।
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी यातायात के नियमों के प्रति स्वयं जागरुक होकर शहर की जनता को जागरुक करने के लिए एक अभियान चलाए। जिससे शहर में आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आ सके और इन पर काबू पाया जा सके। शासन-प्रशासन के द्वारा जनता को टे्रफिक सिग्नलों का पालन करने के लिए जाग्रत किया किए जाने की आवश्यकता है।
इसे आप भगवान की कृपा कहे या अपना - अपना नसीब की, किसी के पास इतना पैसा, सुख- सुविधा है की उसे समय ही नहीं की वह अपने सम्पति और माया का हिसाब रख सके और दूसरी तरफ ऐसे भी लोग है जिनका रोज़ खाना और रोज़ कमाना होता है. अगर उनकी कमाई नहीं हुई तो उन्हें खाना भी नहीं मिल पाता. जाने... ये विवशता और मजबूरी कब समाप्त होगी और कब सब लोग सामान होंगे . आखिर कब आएगी समानता.... ???
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आप बहुत ही बढ़िया लिखते है. बंदू मगर बुरा मत मानना..आपके ब्लॉग का नाम देखकर लगा की कुछ समानता-समरसता के बारे में होगा. लेकिन यहाँ गाजियाबाद की सामान्य खबर थी. आशा है आप अपने ब्लॉग के नाम के अनुरूप हिन्दू समाज में समरसता लाने वाले लेखो और समाचारों को जगह देंगे. आज मायावती, मुलायम, अमरसिंह, पासवान, लालू, कम्युनिस्ट और कोंग्रेस समेत अपने -आप को सेकुलर कहने वाले कई नेता और मीडियाकर्मी केवल जातिवाद का जहर फैलाकर हिन्दू समाज के विभिन्न अंगो में जातीगत वैमनस्य फैला रहे हैं. ऐसे में समाज में समरसता और समानता लाने की अहम जरूरत है. उम्मीद है आपका ब्लॉग इसा विषय में सक्रिय होकर हिन्दू समाज को एक सूत्र में पिरोयेगा.
ReplyDeleteवन्देमातरम.