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Friday, November 26, 2010

Aam Aadmi ur Sarkar

बेशक बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के हाथ को आम आदमी का साथ न मिल सका हो पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया और युवराज राहुल को अभी भी पार्टी ब्रांड बनाया हुआ है। हाल ही में कांग्रेस की 125 वीं सालगिरह के अवसर पर लगाए गए पोस्टरों में सोनिया गांधी को 'माता इंडियाÓ और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को 'भगवान श्रीकृष्णÓ के रूप में दिखाया गया है। इन पोस्टरों इलाहाबाद की गली-मुहल्लों को पाट दिया गया । इन पोस्टरों का भारतीय जनता पार्टी सहित सपा ने भी जमकर विरोध दर्ज कराया है। भाजपा ने कांग्रेस को हिन्दू देवी-देवताओं को अपमानित करने वाली पार्टी करार दिया है।
कांगे्रस की 125 वीं सालगिरह के अवसर पर इलाहाबाद में सोनिया गांधी की एक रैली आयोजित की गयी थी जिसमें सोनिया और राहुल गांधी के लगे पोस्टरों से पूरे शहर को पाट दिया गया। यह रैली 2012 में होने वाले विधानसभाओं चुनावों को टारगेट करते हुए आयोजित की गयी थी। रैली में लगाए गए पोस्टरों का भारतीय जनता पार्टी ने जमकर विरोध  किया। जिसके चलते कार्यकर्ताओं पर लाठियां तक बरसाई गई। वहीं समाजवादी पार्टी ने अपने विरोध स्वरुप काले झंडा दिखाए।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता केसरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि इन पोस्टरों से यही साबित होता है कि कांग्रेस में चमचावाद चरम पर है और मां-बेटे को खुश करने के लिए ही यह सारा खेल किया गया है। इन पोस्टरों के माध्यम से पार्टी को सियासी लाभ पहुंचाने की कवायद स्थानीय नेताओं ने की है। लेकिन लाभ के लिए उठाया गया यह कदम कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। जैसा की हाल ही में बिहार विधानसभा चुनावों में पार्टी को करारी हार मिली है। जहां पार्टी को पिछले चुनावों में 10 सीटें मिली थी वहीं इस बार केवल 4 सीटें ही मिल सकी। लगता है बिहार चुनावों में मिली इस करारी हार से कुछ सबक लेते हुए पार्टी ने अभी से कमर कस ली है। इसके लिए इलाहाबाद में आयोजित की गयी रैली में सोनिया गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आम लोगों को साथ लेकर आंदोलन में उतरने का निर्देेश दिए। साथ ही केंद्र की योजनाओं को आम आदमी तक पहुंचाने को कहा गया। रैली में जुटी भीड़ को देखकर  कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया उत्साहित नजर आईं। उन्होंनेे रैली में बोलते हुए माया सरकार पर केंद्र से मिले पैसे का सही उपयोग न करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक और यूथ आइकॉन राहुल गांधी का बिहार में कुछ जादू नहीं चल सका। जबकि राहुल गांधी को पार्टी के खेवनहार के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। लगता है बिहार के युवा राहुल की रणनीति और उनकी छवि से प्रभावित नहीं हो पाये। आलम यह रहा कि जहां-जहां राहुल गांधी ने पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में रैलियां एवं सभाएं की थी वहां उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के बल पर विधानसभा पहुंचने का सपना देख रहे प्रत्याशियों का सपना चकनाचूर हो गया।
कांग्रेसी नेता मणि शंकर अय्यर ने जेडीयू नेता नीतिश कुमार की जीत को महिला वोट बैंक से मिली जीत बताया  है। उनका कहना है कि नीतिश को केवल बिहार की महिलाओं ने जिताया है। लगता है बिहार की महिलाओं का विश्वास केवल नीतीश में ही है। नीतिश ने बिहार के विकास में जो कार्य किए गए है उनको देखते हुए महिलाओं ने प्रदेश की उन्नति, समृद्धि और कानून के लिए केवल मौजूदा सरकार को ही उपयुक्त पाया है। इसलिए सरकार को पहले से अधिक सीटें प्राप्त हुई है। इन चुनावों में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की रैलियों और सभाओं को बिहार की जनता और खासकर महिलाओं पर कुछ खास असर नहीं दिख सका।  इन चुनावों महिलाओं ने आगे बढ़कर अपने मताधिकार का उपयोग किया है। इलेक्शन कमीशन के अनुसार इस बार बिहार विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने 54.85 फीसदी मतदान किया। जो कि 2005 में हुए विधानसभा चुनावों से 10 प्रतिशत अधिक है। मौजूदा आंकड़ा 2009 में हुए लोकसभा चुनाव की तुलना में 12 प्रतिशत ज्यादा है। प्रदेश के यूथ वर्ग ने भी मौजूदा सरकार में ही अपना विश्वास दिखाया है। बिहार विधानसभा चुनाव में जेडी(यू)-बीजेपी गठबंधन की जीतने यूथ के चेहरे पर भी मुस्कान ला दी है। युवाओं को अब एजूकेशन और जॉब के लिए घर छोडऩा नहीं पड़ेगा। इस बार बिहार की वोटिंग जातिवादी और धर्म विशेष को आधार न मानते हुए विकासवाद के आधार पर हुई है। जो प्रदेश के साथ-साथ सम्पूर्ण देश के लिए एक गौरव की बात है। काश! बिहार की तरह अन्य प्रदेश के लोग भी जातिवादी और स्वार्थसिद्धि की राजनीति छोड़कर केवल विकास देने वाली सरकार को चुनें तो देश से शीघ्र ही बेरोजगारी, अशिक्षा, हिंसा और भ्रष्टाचार जैसी गंभीर समस्याएं दूर हो जाएगी और सब लोगों को रोटी कपड़ा और मकान आराम से मिल सकेगा।