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Monday, March 28, 2011

...क्या-क्या नहीं होता क्रिकेट से
    जब-जब भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच खेला जाता है तो दोनों देशों के लोग इसे मैच न मानकर एक युद्घ की तरह देखते हैं। इस युद्घ रूपी मैच में दोनों देशों  की सेनाएं (क्रि केट टीमें) अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं। वहीं दोनों की जनता अपने-अपने ढंग से अपने देश को जीताने के लिए प्रार्थनाएं और दुआएं करते हैं। इस अवसर पर करोड़ों हाथ अपने देश को जीत दिलाने के लिए भगवान की तरफ उठते हैं। जहां जीत मिलने पर एक देश में दीवाली और जश्न का माहौल होता है तो हारने वाला देश गम के सागर में डूब जाता है।
    पाकिस्तान पर समय-समय पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगते रहे हैं जिसके चलते पाकिस्तान के खिलाडिय़ों की खेल भावना पर उंगली भी उठाई जाती रही है। दुनिया भर से उठ रही तमांग उंगलियों के बावजूद अभी तक पाक के हुक्मरानों ने अपने देश के खिलाडियों के फिक्सिंग में शामिल होने के आरोपों को खारिज करते आए थे। लेकिन एक स्टिंग ऑपरेशन में मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर के साथ-साथ पूर्व कप्तान सलमान बट्ट को फिक्ंिसग का दोषी पाया गया। इस बार किसी भी तरह के आरोप पाक के खिलाडियों पर न लगे उससे पूर्र्व ही पााकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक ने अपने देश के क्रिकेट खिलाडियों को एक चेतावनी देकर उन्हें किसी भी तरह की फिक्सिंग से बचने की हिदायत दी है।
    मोहाली में 30 मार्च को होने वाले वल्र्ड कप के सबसे बड़े मैच पर सभी की निगाहें टिकी हैं। मोहाली में होने वाले क्रिकेट महाकुंभ में दोनों देशों के प्रधानमंत्री इस मैच को देखने के लिए उपस्थित होंगे। जिनकेचलते दोनों देशों के क्रिकेट खिलाडिय़ों का उत्साह और अधिक बढ़ जाएगा। मैच के जरिए दोनों देशों के बीच कड़वाहट को कुछ कम करने की कोशिश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकि स्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी और राष्टï्रपति आसिफ अली जरदारी को मैच देखने के लिए आमंत्रित किया था। इससे पूर्र्व जनरल जिया उल हक से जनरल परवेज मुशर्रफ तक शांति के नाम पर क्रिकेट मैच देखने के लिए भारत आते रहे हैं। लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है और समय समय पर सीमापार से आतंकी हमले होते रहे हैं। इन हमलों में जाने कितने बेगुनाह और मासूम लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी।
    मोहाली स्टेडियम में सीट पाने के लिए क्रिकेट प्रेमियों से ब्लैक मार्केटिंग करने वाले भारी कीमत वसूल रहे हैं। पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के मोहाली स्टेडियम में 25, 500 लोगों के बैठने की क्षमता है पर 22 मार्च तक 15000 टिकटें बिक चुकी थीं। यह मैच देखने के लिए लोगों की बेकरारी का आलम यह रहा कि 15000 वाली टिकट 1 लाख रूपये और 10,000 रूपये की कीमत वाले 50-50 हजार रुपये में बिके। अहमदाबाद में टीम इंडिया ने ऑस्टे्रलिया को हराया था तभी से टीम इंडिया के पक्ष में सटटा लगना शुरू हो गया था। जानकारों के मुताबिक क्रिकेट वल्र्डकप के इस महामुकाबले पर सिर्फ भारत में करीब पांच हजार करोड़ रुपये का सटटा लग चुका है।

Tuesday, March 22, 2011


मेरा  dla पेपर में प्रकाशित एक आर्टिकल

Saturday, March 5, 2011




देश और दुनिया में अपना शक्ति और साहस का परचम फरहराने वाली महिलाएं दिन-पर-दिन सशक्त होती जा रही हैं। जिनकी काबिलियत का हर कोई लोहा मान रहा है। अब बात चाहे उद्योगजगत की हो या घरेलू जिम्मेदारियों की। हर क्षेत्र मेंं महिलाओं ने अपना परचम लहरा रही हैं। अपने देश में कल्पना चावला, सोनिया गांधी, प्रतिभा पाटिल, सुषमा स्वराज, साइना नेहवाल जैसी अनेक महिलाएं हैं। ये महिलाएं ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में निवास करने वाली महिलाओं और लड़कियों के लिए प्रेरणा है। जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों ने ज़माने के कदम से कदम मिलाकर चलने की चुनौती को स्वीकारा है और इसे बखूबी अंजाम भी दे रही हंै। महिला शक्ति के आगे आम आदमी से लेकर अधिकारी, जनप्रतिनिधि तक नतमस्तक हैं। महिला शक्ति का प्रदर्शन एक दिन मुझे भी देखने को मिला। एक स्थानीय कॉलेज में मुझे नौकरी के लिए साक्षात्कार पर जाना था जिसके  लिए मैंने पूरी तैयारी की थी और बड़ी लगन और प्रफुल्लित मन से इंटरव्यू देने निकला। मैं अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए ऑटो ले लिया और बिना किसी परेशानी के इंटरव्यू स्थल पर पहुंच गया। वहां उपस्थित प्रतिभागियों में दो महिलाएं और तीन पुरुष थे। इससे पहले यह साक्षात्कार दो बार कैंसिल हो चुका था। इस बार साक्षात्कार का समय 11 बजे निर्धारित था पर 12 बजे तक परिक्षाथयों की कोई खोज खबर कॉलेज प्रशासन की तरफ से नहीं ली गई। सभी प्रतिभागी परेशान थे यह सोच कर किइस बार भी परीक्षा होगी या नहीं। इस बीच सभी प्रत्याशी एक दूसरे का परिचय पूछने लगे। एक लड़का जो आगरा से आया था, बोला-भाई मैं इस बार अंतिम बार आया हूं, अगर परीक्षा ली जाती है तो अच्छी बात है, नहीं तो फिर दूबारा नहीं आऊंगा।
   एक महिला जो शादी शुदा थी और गाजियाबाद की ही रहने वाली थी। वह बड़ी तत्परता से टाइपिंग करने में व्यस्त थी और किसी की भी बात को वह अनसुना कर रही थी। इतनी ही देर में हमारी परीक्षा लेने के लिए कॉलेज की टीम आ गई। हम पांचों को देख कर, स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि आप लोगों कि तैयारी कैसी है? परीक्षा करायी जाए या नहीं? सभी ने एक स्वर में बोला हां। इसके पश्चात कालेज प्रशासन को मजबूरन परीक्षा करानी ही पड़ी। कुछ समय बाद साक्षात्कार पूरा हुआ। उसके बाद हम सब अपने-अपने घर केलिए चल दिए। मैंने घर जाने के लिए ऑटो किया। मेरे बैठने के कुछ समय बाद ऑटो वाले ने तेज गाने चला दिए जिसके चलते मुझे काफी परेशानी हो रही थी। मैंने उसे बंद करने के लिए कहा पर वह नहीं माना और ऑटो से उतार देने की धमकी देने लगा। मैंने चुप रहना ही मुनासिब समझा। दूसरे स्टॉप पर एक महिला ऑटो में बैठी। ऑटो वाले ने कुछ देर बाद फिर  से तेज आवाज में गाने बजाने शुरू  किए। इस पर महिला ने ऐतराज किया और उसे बंद करने के लिए कहा। ऑटो चालक ने एक नजर उसे गुस्से से देखा और फिर अपनी मजबूरी समझते हुए गाने बजाने बंद कर दिए। अब मुझे भी राहत महसूस हुर्ई और नारी शक्ति के आगे नर शक्ति को पीछे छूटते देखा।