देश और दुनिया में अपना शक्ति और साहस का परचम फरहराने वाली महिलाएं दिन-पर-दिन सशक्त होती जा रही हैं। जिनकी काबिलियत का हर कोई लोहा मान रहा है। अब बात चाहे उद्योगजगत की हो या घरेलू जिम्मेदारियों की। हर क्षेत्र मेंं महिलाओं ने अपना परचम लहरा रही हैं। अपने देश में कल्पना चावला, सोनिया गांधी, प्रतिभा पाटिल, सुषमा स्वराज, साइना नेहवाल जैसी अनेक महिलाएं हैं। ये महिलाएं ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में निवास करने वाली महिलाओं और लड़कियों के लिए प्रेरणा है। जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों ने ज़माने के कदम से कदम मिलाकर चलने की चुनौती को स्वीकारा है और इसे बखूबी अंजाम भी दे रही हंै। महिला शक्ति के आगे आम आदमी से लेकर अधिकारी, जनप्रतिनिधि तक नतमस्तक हैं। महिला शक्ति का प्रदर्शन एक दिन मुझे भी देखने को मिला। एक स्थानीय कॉलेज में मुझे नौकरी के लिए साक्षात्कार पर जाना था जिसके लिए मैंने पूरी तैयारी की थी और बड़ी लगन और प्रफुल्लित मन से इंटरव्यू देने निकला। मैं अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए ऑटो ले लिया और बिना किसी परेशानी के इंटरव्यू स्थल पर पहुंच गया। वहां उपस्थित प्रतिभागियों में दो महिलाएं और तीन पुरुष थे। इससे पहले यह साक्षात्कार दो बार कैंसिल हो चुका था। इस बार साक्षात्कार का समय 11 बजे निर्धारित था पर 12 बजे तक परिक्षाथयों की कोई खोज खबर कॉलेज प्रशासन की तरफ से नहीं ली गई। सभी प्रतिभागी परेशान थे यह सोच कर किइस बार भी परीक्षा होगी या नहीं। इस बीच सभी प्रत्याशी एक दूसरे का परिचय पूछने लगे। एक लड़का जो आगरा से आया था, बोला-भाई मैं इस बार अंतिम बार आया हूं, अगर परीक्षा ली जाती है तो अच्छी बात है, नहीं तो फिर दूबारा नहीं आऊंगा।
एक महिला जो शादी शुदा थी और गाजियाबाद की ही रहने वाली थी। वह बड़ी तत्परता से टाइपिंग करने में व्यस्त थी और किसी की भी बात को वह अनसुना कर रही थी। इतनी ही देर में हमारी परीक्षा लेने के लिए कॉलेज की टीम आ गई। हम पांचों को देख कर, स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि आप लोगों कि तैयारी कैसी है? परीक्षा करायी जाए या नहीं? सभी ने एक स्वर में बोला हां। इसके पश्चात कालेज प्रशासन को मजबूरन परीक्षा करानी ही पड़ी। कुछ समय बाद साक्षात्कार पूरा हुआ। उसके बाद हम सब अपने-अपने घर केलिए चल दिए। मैंने घर जाने के लिए ऑटो किया। मेरे बैठने के कुछ समय बाद ऑटो वाले ने तेज गाने चला दिए जिसके चलते मुझे काफी परेशानी हो रही थी। मैंने उसे बंद करने के लिए कहा पर वह नहीं माना और ऑटो से उतार देने की धमकी देने लगा। मैंने चुप रहना ही मुनासिब समझा। दूसरे स्टॉप पर एक महिला ऑटो में बैठी। ऑटो वाले ने कुछ देर बाद फिर से तेज आवाज में गाने बजाने शुरू किए। इस पर महिला ने ऐतराज किया और उसे बंद करने के लिए कहा। ऑटो चालक ने एक नजर उसे गुस्से से देखा और फिर अपनी मजबूरी समझते हुए गाने बजाने बंद कर दिए। अब मुझे भी राहत महसूस हुर्ई और नारी शक्ति के आगे नर शक्ति को पीछे छूटते देखा।
अच्छा लिखा है - शुभकामनाएं
ReplyDeleteब्लॉग लेखन में आपका स्वागत, हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए तथा पत्येक भारतीय लेखको को एक मंच पर लाने के लिए " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" का गठन किया गया है. आपसे अनुरोध है कि इस मंच का followers बन हमारा उत्साहवर्धन करें , साथ ही इस मंच के लेखक बन कर हिंदी लेखन को नई दिशा दे. हम आपका इंतजार करेंगे.
ReplyDeleteहरीश सिंह.... संस्थापक/संयोजक "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच"
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badiya likha hai. mubarak ho.
ReplyDeletethanks to all viewers
ReplyDeletethanks sangeeta ji
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