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Monday, April 11, 2011

 ...जब अपनी ही भूमिका पर संदेह हो
अन्ना हजारे की देश को भ्रष्टाचार रूपी अकाल से मुक्ति दिलाने की मुहिम के आगे केंद्र सरकार को मंजूरी देनी पडी। इस मंजूरी के पीछे सरकार की कोई न कोई मजबूरी अवश्य रही है । तभी तो उनके ही मंत्री बिल की सफलता पर सवाल उठा रहे है। बिल के लिए गठित कमेटी के सरकारी सदस्य और केंद्रिय मंत्री कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद को बिल की सफलता पर संशय है। सिब्बल ने लोकपाल बिल पर बोलते हुए कहा कि यह बिल देश से भ्रष्टाचार को दूर नहीं कर सकता। जरूरत व्यवस्था बदलने की है न की किसी कानून के बनाने की। हम समाजसेवी अन्ना हजारे के साथ बैठकर एक अच्छा बिल लायेंगे। उन्होंने कहा कि लोकपाल बिल से लोगों को पानी, बिजली, सिलेंडर, जैसी समस्याएं दूर नहीं हो पाएगी। सिब्बल के इस बयान पर नाराजगी जताते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि अगर उन्हें बिल पर विश्वास नहीं है तो उन्हें कमेटी से अपना इस्तीफा देकर देश के लिए किसी अन्य काम में अपना समय दें। वहीं सलमान खुर्शीद ने भी कपिल सिब्बल के बयान का समर्थन किया है और उन्होंने कहा कि भगवान है फिर भी अपराध होते है। लोगों का कहना है कि भगवान और कुछ लोगों की ईमानदारी के चलते ही देश की व्यवस्था चल रही है। यानी राम भरोसे ही देश में आम आदमी जी पा रहा है। कोई सलमान जी से यह पूछे की अगर अपराध रोकने के लिए भगवान जी को ही आना है तो फिर सरकारें, अद्रसैनिक बल, पुलिस बल आदि अनेक बल क्यों गठित किये गए है? क्यों जनता सरकार का चुनाव करें ? आप चुनाव के दौरान जनता से क्यों आग्रह कर कहते है कि हमें वोट दीजिए हम आपको सुशासन, भय मुक्त समाज, बिजली, पानी देंगे?