अनशन बनाम राजनीति
भटटा परसौल मुददे पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने वाले राहुल गांधी दिल्ली रामलीला मैदान में हुई पुलिस कार्रवाई पर चुप क्यों है? उनकी यह चुप्पी आम लोगों के प्रति उनकी हमदर्दी, चिंता और विकासशील धारणा पर उंगली उठाती है। सब दलों को पछाडकर सबसे पहले भटटा गांव पहुंचने वाले युवराज ने भटटा गांव के लोगों का हौंसला, हिम्मत बढायी थी। उधर भट्टा परसौल(ग्रेटर नोएडा) में यूपी सरकार और किसानों के बीच हुई जंग को पूरे देश की जनता ने देखा। इस जंग में 4 किसानों और 2 पुलिस कर्मियों की मृत्यु हो गई थी। भट्टा की आग से केंद्र भी सुलगने से नहीं बच सका और यूपीए सरकार के युवराज राहुल गांधी भट्टा परसौल पहुंच गए। राहुल गांधी ने भट्टा गांव पहुंचकर किसानों का दुख दर्द सुना और उनकी आवाज को अपनी आवाज बनाकर उन्हें न्याय दिलाने की बात कही।
भट्टा गांव के किसानों पर पुलिसिया कार्रवाई की आवाज राहुल गांधी को दिल्ली में पहुंच जाती है जबकि पिछले दिनों दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के अनशन में जुटे लोगों पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के बाद मासूम जनता की आवाज उन्हें सुनाई नहीं देती। सभी टीवी चैनलों ने दिखाया कि किस तरह देश की मासूम और भोली जनता पर रात के 2 बजे दिल्ली पुलिस ने बर्बरतापूर्ण कार्रवार्ई की। इस कार्रवार्ई के दौरान जो भगदड़ मची उसमें न जाने कितने बेगुनाह लोगों को चोट आयीं। पर युवराज राहुल गांधी ने अभी तक देश की मासूम और निर्दोष लोगों पर हुई कार्रवार्ई के विरोध में कुछ प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं समझीं और न ही यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी ने इस बारे में कोई बयान जारी किया है। हां, एक बार फिर मान्यनीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने विवशता जाहिर की। उन्होंने रामलीला मैदान में हुई पुलिस की कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और इसके अलावा अन्य कोई विकल्प न होने की बात कही। जनता जिसे भारतीय संविधान में सर्वोच्च शक्ति प्राप्त है। ऐसे मौको पर अपने को ठगा सा महसूस करती है।
भ्रष्टाचार और गरीबी से त्रस्त जनता के लिए कोई नेता, बाबा या सामाजिक कार्यकर्ता लडऩे की बात करता है तो जनता में एक आशा की किरण जाग उठती है और उन्हें लगता कि शायद...अब हमारी समस्या, मजबूरी से हमें छुटकारा दिलाने वाला आ गया है और बस अब हमें लूट, भ्रष्टाचार से राहत मिल जाएंगी। इस चाहत और विश्वास को लेकर मासूम लोग, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी अनशन में जुटते है। पर उन्हें इस चाहत के बदले क्या मिलता है ? आफत, परेशानी और पिटाई। आखिर कब तक देश की जनता पर सरकार अपनी नौकरशाही का रौब डालकर उसे डराती रहेगी और जन चेतना को दबाये रखेगी, जिस दिन इस चेतना ने ज्वाला को रूप धारण कर लिया तो कोई बल उन्हें भ्रष्टाचारसे मुक्ति दिलाने से नहीं रोक सकेगा।
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