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Saturday, December 4, 2010

wikileaks ur America

विकिलीक्स ने उड़ाई अमेरिका की नींद
विश्व समुदाय में तहलका मचाने वाली स्वीडिश वेबसाइट विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे इन दिनों विवादों से घिरे हुए है। जहां एक ओर अंतरराष्ट्रीय पुलिस संस्था इंटरपोल ने उनकी गिरफ्तारी के लिए रेड कार्नर नोटिस जारी किया है। वहीं दूसरी ओर अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने विकिलीक्स के खुलासे को अमेरिका और अन्य देशों पर हमला करार दिया है। उन्होंने दुनिया के सभी देशों से साइट द्वारा प्रकाशित किए गए दस्तावेजों पर ध्यान न देने को कहा है।
ज्ञात हो कि विकिलीक्स ने कुछ दिनों पहले करीब ढाई लाख दस्तावेजों को प्रकाशित कर अमेरिका, चीन सहित कई देशों के रहस्यमयी और गोपनीय जानकारियों को उजागर किया था। जिसके बाद से विश्व समुदाय में खलबली मच गई और नए-नए खुलासे होने से सभी हतप्रभ है। कुछ लोगों इन खुलासों को कोरी अफवाह, कहे रह है तो कुछ सच होने का दावा कर रहे है। चीन ने इन सभी  खुलासों को ऊटपटांग और हास्यास्पद बताया। ज्ञात हो कि चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जियांग यू ने कहा कि विकिलीक्स द्वारा किए गए सभी खुलासे टिप्पणी करने लायक भी नहीं है। पर इसके बाद चीन ने अपने यहां साइट पर प्रतिबंध लगा दिया है।
विकीलीक्स के खुलासों से जानकारी मिली है अमेरिकी सेनेट की विदेश संबंध समिति के चेयरमैन जॉन केरी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी सेे इस साल फरवरी में मुलाकात की थी ,तब केरी ने कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई की योजना को भारत के सामने पेश करे , ताकि भारत सहित  अन्य देशों का उस पर भरोसा बढ़े। लेकिन गिलानी  ऐसा करने से इंकार कर दिया था।
अमेरिका ने कहा कि वह उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा जिन्होंने ये सूचनाएं विकिलीक्स तक पहुंचाई हैं। हिलेरी ने कहा कि इस तरह की गोपनीय सामग्री जारी करना अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर हमला है।  अमेरिका विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पी जे क्राउले ने कहा कि असांजे जर्नलिस्ट नहीं हैं। जूलियन पॉल असांजे को पॉलिटिशियन करार देते हुए अमेरिका ने आरोप लगाया है कि असांजे देश की मदद करने वाले अंतरराष्ट्रीय तंत्र को कमतर करने की कोशिश कर रहे हैं। इन खुलासों से भन्नाया हुआ महाशक्ति अमेरिका ने अपने सर्चइंजन में लंदन सहित पूरे यूरोप में साइट पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत में भी इस साइट को ओपन नहीं किया जा सकता है। लगता है अमेरिका के प्रभुत्व के चलते भारत सरकार ने यह कदम उठाया है।
विकिलीक्स के खुलासे में भारत में अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर के संदेश में कोल्ड स्टार्ट और भारतीय सेना के धीमी होने  की बात की गई थी। जिसका जवाब में भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल वी. के. सिंह ने कहा है कि थलसेना के पास पाक पर हमला करने के लिए कोल्ड स्टार्ट नाम की कोई रणनीति नहीं है। विकिलीक्स के खुलासों से पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के भारत के दावे को बल मिला है। इन खुलासों में सबसे दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तानी की कलई खुद अमेरिका के राडार पर ही खुल रही है और अब विश्व बिरादरी के सामने पाक को कठघरे में खड़ा करने में भारत को आसानी हो सकती है।  भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों के हाथ परमाणु हथियार हाथ लगने की आशंका जाहिर की है।

Friday, November 26, 2010

Aam Aadmi ur Sarkar

बेशक बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के हाथ को आम आदमी का साथ न मिल सका हो पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया और युवराज राहुल को अभी भी पार्टी ब्रांड बनाया हुआ है। हाल ही में कांग्रेस की 125 वीं सालगिरह के अवसर पर लगाए गए पोस्टरों में सोनिया गांधी को 'माता इंडियाÓ और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को 'भगवान श्रीकृष्णÓ के रूप में दिखाया गया है। इन पोस्टरों इलाहाबाद की गली-मुहल्लों को पाट दिया गया । इन पोस्टरों का भारतीय जनता पार्टी सहित सपा ने भी जमकर विरोध दर्ज कराया है। भाजपा ने कांग्रेस को हिन्दू देवी-देवताओं को अपमानित करने वाली पार्टी करार दिया है।
कांगे्रस की 125 वीं सालगिरह के अवसर पर इलाहाबाद में सोनिया गांधी की एक रैली आयोजित की गयी थी जिसमें सोनिया और राहुल गांधी के लगे पोस्टरों से पूरे शहर को पाट दिया गया। यह रैली 2012 में होने वाले विधानसभाओं चुनावों को टारगेट करते हुए आयोजित की गयी थी। रैली में लगाए गए पोस्टरों का भारतीय जनता पार्टी ने जमकर विरोध  किया। जिसके चलते कार्यकर्ताओं पर लाठियां तक बरसाई गई। वहीं समाजवादी पार्टी ने अपने विरोध स्वरुप काले झंडा दिखाए।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता केसरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि इन पोस्टरों से यही साबित होता है कि कांग्रेस में चमचावाद चरम पर है और मां-बेटे को खुश करने के लिए ही यह सारा खेल किया गया है। इन पोस्टरों के माध्यम से पार्टी को सियासी लाभ पहुंचाने की कवायद स्थानीय नेताओं ने की है। लेकिन लाभ के लिए उठाया गया यह कदम कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। जैसा की हाल ही में बिहार विधानसभा चुनावों में पार्टी को करारी हार मिली है। जहां पार्टी को पिछले चुनावों में 10 सीटें मिली थी वहीं इस बार केवल 4 सीटें ही मिल सकी। लगता है बिहार चुनावों में मिली इस करारी हार से कुछ सबक लेते हुए पार्टी ने अभी से कमर कस ली है। इसके लिए इलाहाबाद में आयोजित की गयी रैली में सोनिया गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आम लोगों को साथ लेकर आंदोलन में उतरने का निर्देेश दिए। साथ ही केंद्र की योजनाओं को आम आदमी तक पहुंचाने को कहा गया। रैली में जुटी भीड़ को देखकर  कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया उत्साहित नजर आईं। उन्होंनेे रैली में बोलते हुए माया सरकार पर केंद्र से मिले पैसे का सही उपयोग न करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक और यूथ आइकॉन राहुल गांधी का बिहार में कुछ जादू नहीं चल सका। जबकि राहुल गांधी को पार्टी के खेवनहार के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। लगता है बिहार के युवा राहुल की रणनीति और उनकी छवि से प्रभावित नहीं हो पाये। आलम यह रहा कि जहां-जहां राहुल गांधी ने पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में रैलियां एवं सभाएं की थी वहां उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के बल पर विधानसभा पहुंचने का सपना देख रहे प्रत्याशियों का सपना चकनाचूर हो गया।
कांग्रेसी नेता मणि शंकर अय्यर ने जेडीयू नेता नीतिश कुमार की जीत को महिला वोट बैंक से मिली जीत बताया  है। उनका कहना है कि नीतिश को केवल बिहार की महिलाओं ने जिताया है। लगता है बिहार की महिलाओं का विश्वास केवल नीतीश में ही है। नीतिश ने बिहार के विकास में जो कार्य किए गए है उनको देखते हुए महिलाओं ने प्रदेश की उन्नति, समृद्धि और कानून के लिए केवल मौजूदा सरकार को ही उपयुक्त पाया है। इसलिए सरकार को पहले से अधिक सीटें प्राप्त हुई है। इन चुनावों में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की रैलियों और सभाओं को बिहार की जनता और खासकर महिलाओं पर कुछ खास असर नहीं दिख सका।  इन चुनावों महिलाओं ने आगे बढ़कर अपने मताधिकार का उपयोग किया है। इलेक्शन कमीशन के अनुसार इस बार बिहार विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने 54.85 फीसदी मतदान किया। जो कि 2005 में हुए विधानसभा चुनावों से 10 प्रतिशत अधिक है। मौजूदा आंकड़ा 2009 में हुए लोकसभा चुनाव की तुलना में 12 प्रतिशत ज्यादा है। प्रदेश के यूथ वर्ग ने भी मौजूदा सरकार में ही अपना विश्वास दिखाया है। बिहार विधानसभा चुनाव में जेडी(यू)-बीजेपी गठबंधन की जीतने यूथ के चेहरे पर भी मुस्कान ला दी है। युवाओं को अब एजूकेशन और जॉब के लिए घर छोडऩा नहीं पड़ेगा। इस बार बिहार की वोटिंग जातिवादी और धर्म विशेष को आधार न मानते हुए विकासवाद के आधार पर हुई है। जो प्रदेश के साथ-साथ सम्पूर्ण देश के लिए एक गौरव की बात है। काश! बिहार की तरह अन्य प्रदेश के लोग भी जातिवादी और स्वार्थसिद्धि की राजनीति छोड़कर केवल विकास देने वाली सरकार को चुनें तो देश से शीघ्र ही बेरोजगारी, अशिक्षा, हिंसा और भ्रष्टाचार जैसी गंभीर समस्याएं दूर हो जाएगी और सब लोगों को रोटी कपड़ा और मकान आराम से मिल सकेगा।

 

Monday, October 18, 2010

जम

गाजियाबाद। गाजियाबाद जिसे सभी लोग हॉटसिटी के नाम से जानते है और बहुत से लोग इसकी पहचान छोटी दिल्ली कहकर भी कराते है। यह शहर प्रदेश सरकार को राजस्व देने वालों सर्वाधिक शहरों में से एक है। गाजियबाद शहर की महत्व को इसी बात से जाना जा सकता है भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इसी को अपना चुनावी क्षेत्र बनाया। परंतु इस शहर में कानून व्यवस्था नाममात्र की है। जबकि बसपा सु्रपीमों मायावती ने अपने चुनावी घोषणा में कानून व्यवस्था को कायम करने और रोजगार देने की गारंटी प्रदेश की जनता को दी थी।
कानून व्यवस्था की बात करे तो प्रदेश की पुलिस जनता की रक्षा और सुरक्षा को दरकिनार कर केवल और केवल अपने निजी स्वार्थों में लगी हुई है। जहां देखों पुलिस की गुंडागर्दी, घूसखोरी, निकम्मापन देखने को मिलता है। जहां पुलिस किसी भी दबंग एवं सम्पन्न व्यक्ति की जी हुजुरी करने में थकती नहीं है वहीं किसी गरीब व्यक्ति पर अपना रौब दिखाने से भी नहीं चूकती। गरीब पर अपना रौब दिखाने के बाद उससे जो भी निकाल सके उसे भी लेेने में पीछे नहीं हटती।
पुलिस की लापरवाही और निकम्मेपन को आप किसी भी चौराहे पर कभी भी देख सकते है। जहां पूरे शहर में जाम की एक भयंकर और विकराल समस्या बना हुआ है। यह जाम पुलिस की लापरवाही और अपने कार्य के प्रति निष्ठा की कमी का ही दुष्परिणाम है। शहर के किसी भी चौराहे पर जाम लगा होने पर पुलिसकर्मी वहीं किसी कोने में खड़े होकर आपस में गप्पे लडाने में मशगूल होते है या अपनी कमाई करने ेंमें। परंतु जाम को खुलवाने के लिए कोई कर्मी जल्दी से आगे नहीं आता है। कोई भी पुलिस कर्मी या पुलिस अधिकारी या प्रशासनिक अधिकारी किसी भी चौराहे पर लगे टे्रफिक सिग्नलों के सुचारु रुप से चलने की तरफ ध्यान नहीं देता। शहर के तमाम प्रशासनिक अधिकारी और नेता इन चौराहों से होकर ही आते-जाते है परंतु सिग्नलों के सही ढंग से काम करने की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जाता है। जनप्रतिनिधि और कोई भी संस्था जो जनता की सभी परेशानियों और उलझनों को दूर करने का दम भरते है वे भी इस ओर से आंखें मूंदे बैठे है।
कोई भी पुलिस कर्मी या अधिकारी यातायात के नियमों का पालन करने के लिए नहीं कहता। पुलिस अफसर या कर्मी के सामने से आप किसी रांग साइड से आइए कोई भी नहीं रोकता। जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि आजकल अपनी साइड छोडकर दूसरे की साइड में चलने का चलन सा निकल पडा है। किसी भी क्रॉसिंग या चौराहे पर सभी को एक दूसरे से पहले निकलने की जल्दी होती है। और इसी जल्दी के चक्कर में आए दिन टैफिक सिग्नलों के हिसाब से कोई नहीं चलता है जिस कारण जाम और दुर्घटनाएं होती है।
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी यातायात के नियमों के प्रति स्वयं जागरुक होकर शहर की जनता को जागरुक करने के लिए एक अभियान चलाए। जिससे शहर में आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आ सके और इन पर काबू पाया जा सके। शासन-प्रशासन के द्वारा जनता को टे्रफिक सिग्नलों का पालन करने के लिए जाग्रत किया किए जाने की आवश्यकता है।