देशभक्तों की कुर्बानियां और हमारे स्वार्थ में होती 'जंग'
15 अगस्त के ऐतिहासिक महत्व को हर कोई जानता है इसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। शिक्षित वर्ग अच्छी तरह से जानता है कि हमारे शूरवीर क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की परवाह न कर देश की आजादी के लिए बलिदान वेदी पर अपनी आहूति दी और अपनी आने वाली पीढी के लिए खुशहाल, स्वाधीन, गौरवमय माहौल देने के सपना लिए वे इस दुनिया को अलविदा कह गए।
पर क्या आज जो कुछ हमारे देश, समाज में घटित हो रहा है उसकी कल्पना हमारे पूर्वजों, स्वतंत्रता संग्राम में शामिल, क्रांतिकारियों ने की होगी? आज जहां देखों वहीं लूटपाट, बलात्कार, भ्रष्टाचार और घोटालों का ही बोलबाला है। आप कोई भी चैनल, समाचार पत्र देखों उस में यहीं सब चीजें प्रमुखतया से आपको देखने को मिलेंगी।
गीता में कहा गया है कि आत्मा अजर है, अमर है.. अगर इन बातों को आधार बनाकर देखा जाये तो हमारे क्रांतिकारियों की आत्माएं आज हमारी दयनीय, असहाय और लालचपूर्ण रवैये को देखकर हमें कचौटती होगी और कहती होगी हमने भी किन लोगों को स्वाधीन कराने के लिए अपने जीवन के सभी सुखों को त्याग दिया था। इनके लिए तो वो अंगे्रजो के शासन वाला समय ही अच्छा होता, कब से कब कोडे के भय के चलते इतने घोटाले और भ्रष्टाचार, लूटपाट तो न होती।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम को चिंगारी देने वाले मंगल पांडे, सुभाषचंद बोस, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सुखदेव, बटुकेश्वर दत्त, राजगुरू, लोकमान्य तिलक आदि क्रांतिकारियों ने अपने सम्पूर्ण जीवन को 'भारत माता' को स्वतंत्रता दिलाने में लगा दिया था। देश को आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी ने 9 अगस्त 1942 को 'करो या मरो' का नारा दिया था जिसमें समाज के हर वर्ग ने बढ़-चढकर हिस्सा लिया और देश को आजादी के द्वार पर पहुंचाया। पर आज का युवा और बुद्धिजीवी वर्ग को समाज में फैली अव्यवस्था और 'कुप्रथा' से कोई लेना देना नहीं है बल्कि सभी उसी प्रथा के तहत अपना योगदान दे रहे है। किसी प्रकार का कोई विरोध स्वर नहीं उठाता है अगर कोई उठाने की हिम्मत करता भी है तो सरकार उसका क्रूरतापूर्वक दमन करने को आतुर है।
हाल ही में बाबा रामदेव के रामलीला मैदान में आयोजित अनशन का शासन ने कुछ इसी तरह से दमन किया था। लोकपाल बिल का झंडा लेकर चल रहे अन्ना हजारे ने देश से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए एक मुहिम चलायी हुई है जिसमें युवा वर्ग कुछ दिलचस्पी ले भी रहा है। अन्ना हजारे और सरकार में लोकपाल बिल पर मतभेद है। अब देखना यह होगा कि 'महात्मा' हजारे अपने अगस्त आंदोलन से सरकार को कितना हिला पाते है। यह आंदोलन 16 अगस्त से जयप्रकाश नारायण नेशनल पार्क से शुरू होने वाला है।
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